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गेहूं की फसल बारिश और ओले के अलावा इस वजह से भी होगी प्रभावित

गेहूं की फसल बारिश और ओले के अलावा इस वजह से भी होगी प्रभावित

बेमौसम आई बारिश ने पुरे देश में गेहूं की फसल को काफी क्षतिग्रस्त कर दिया है। किसान वैसे ही बहुत सी समस्याओं से पीड़ित रहते हैं। अब प्राकृतिक आपदाएं भी उनके जी का जंजाल बन रही हैं। हालाँकि, राज्य सरकारें भी अपने स्तर से किसानों की क्षति पर ध्यान रखा जा रहा है। पहले भी खरीफ ऋतु की फसलों को प्राकृतिक आपदाएं जैसे कि बारिश, बाढ़ एवं सूखा के कारण बेहद नुकसान हुआ था। फिलहाल, रबी फसलों में किसान भाइयों को बेहतर आय की आशा थी। वहीं, इस सीजन के अंदर भारत में रिकॉर्ड तोड़ कर गेहूं के उत्पादन हेतु बीजारोपण भी किया गया है। किसान भाइयों का यह प्रयास है, कि खेतों में गेहूं के उत्पादन से मोटी आमदनी हो जाए। परंतु, बीते कुछ दिनों से मौसम परिवर्तन होने की वजह से किसानों की उम्मीद पर पानी फेरना चालू कर दिया है। भारत के बहुत से राज्यों में अत्यधिक मूसलाधार बारिश दर्ज की गई है। तो वहीं, मौसम विभाग ने बताया है, कि फिलहाल एक दो दिन अभी और बारिश होने की आशंका है। बारिश से क्षतिग्रस्त हुई फसल से अब देश को भी अनाज के संकट का सामना करना पड़ सकता है।

इन प्रदेशों की स्थिति पश्चिमी विक्षोभ ने की खराब

मौसम के जानकारों ने बताया है, कि पश्चिमी विक्षोभ मतलब वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की वजह से परिस्थितियां प्रतिकूल हो गई हैं। इसी लिए जल भरे बादलों का रुझान इन प्रदेशों की तरफ हुआ है। आपको बतादें कि बीते दो दिनों में उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, राजस्थान से महाराष्ट्र सहित भारत के विभिन्न राज्यों में जोरदार हवाओं के साथ-साथ बारिश एवं ओलावृष्टि देखने को मिली है।

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बारिश की मार से गेंहू की फसल सबसे ज्यादा बर्बाद

जैसा कि हम सब जानते हैं, कि गेंहू रबी सीजन में उगाई जाने वाली प्रमुख फसल है। देश विदेशों तक गेंहू की माँग काफी होती है। वर्तमान में तीव्र बारिश गेहूं की मृत्यु बन सकती है। बीते दो दिनों से बहुत से राज्यों में तेज वर्षा हो रही है। अब ऐसी स्थिति में किसानों को गेहूं की फसल बर्बादी होने का भय सता रहा है। जानकारों का मानना है, कि ज्यादा वर्षा हुई तो गेहूं की पैदावार निश्चित रूप से काफी प्रभावित होगी। तीव्र हवा, बारिश और ओले पड़ने की वजह से खेतों में ही गेहूं की फसल गिर चुकी है। मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के विभिन्न जनपदों में गेहूं की फसल क्षतिग्रस्त होने की भी खबरें सामने आ रही हैं। इतना ही नहीं इसके चलते आम और लीची की पैदावार भी इन प्रदेशों में प्रभावित हो सकती है।

गेंहू की फसल को रोग एवं कीट संक्रमण की संभावना

किसान को केवल बारिश ही नुकसान नहीं पहुँचा रही है। बारिश की वजह से उत्पन्न कीट संक्रमण भी गेंहू फसल हानि करने में अपनी नकारात्मक भूमिका निभाएगा। इसके अतिरिक्त भी बारिश की वजह से होने वाली सड़न-गलन से भी गेहूं की फसल को काफी हानि होने की संभावना है। इसकी वजह से गेहूं की फसल में रोग और कीट लगने का संकट तो बढ़ा ही है। महाराष्ट्र राज्य के चंद्रपुर जनपद के खेतो में कटाई की हुई गेहूं-चना के साथ बाकी फसलों के भीगने और खेतों में जल भराव से किसानों को काफी हानि का सामना करना पड़ा है। प्रभावित किसानों द्वारा सरकार से फसल बीमा के अनुरूप सहायता धनराशि की मांग जाहिर की गई है। तो उधर, राजस्थान राज्य के बूंदी जनपद में भी फसल को काफी हानि पहुँची है। वहीं, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में 62000 हेक्टयर से ज्यादा कृषि भाग को हानि हुई है। नांदेड़, बीड, लातूर, औरंगाबाद और हिंगोली में कृषकों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है।
फसलों पर बरपा कहर, सरकार देगी इतना मुआवजा

फसलों पर बरपा कहर, सरकार देगी इतना मुआवजा

देश में किसानों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया है. जहां एक तरफ बीते खरीफ के सीजन में जमकर हुई बारिश, बाढ़ और सूखे की वजह से फसलें बर्बाद हो गयी थीं वहीं दूसरी तरफ एक बार फिर जनवरी और फरवरी में हुई बारिश और ओलावृष्टि ने फसलों को तबाह करके रख दिया है. कई राज्यों में फसलों की बर्बादी के बाद तमिलनाडु के खराब हालात सामने आ रहे हैं. जहां एक बड़े हिस्से में तेज बारिश की वजह से फसलें खराब हो गयीं. जिसके बाद बेबस और लाचार किसानों की मदद के लिए राज्य सरकार ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया है.

प्रति हेक्टेयर सरकार देगी इतना मुआवजा

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने किसानों की मदद के लिए कावेरी डेल्टा की प्रभावित हुई फसलों के लिए मुआवजे का ऐलान किया है. जिसमें किसानों को 20 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का राहत पैकेज दिया जाएगा. यह मुआवजा उन किसानों को दिया जाएगा, जिनकी फसलें कावेरी डेल्टा से सबसे ज्यादा और बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं.

किसानों ने किया शुक्रिया

किसानों ने राज्य सरकार की इस मदद का आभार जताते हुए कहा कि, सरकार का यह कदम हमारे जख्मों पर मरहम की तरह है. ये भी देखें: ठंड़ और पाले की वजह से बर्बाद हुई फसल का मुआवजा मांगने के लिए हरियाणा के किसान दे रहे धरना

विभागीय स्तर से होगा फसल सर्वे

राज्य सरकार किसानों को मुआवजा देने के लिए फसलों का सर्वे करवाएगी. यह सर्वे विभागीय स्तर पर किया जाएगा. इसके अलावा राज्य सरकार ने यह भी निर्देश दिए हैं कि, कृषि विभाग और राजस्व इस नुकसान का मिलकर आकलन करे. इसके अलावा अगर बीमा को लेकर पहले सर्वे का काम पूरा हो गया तो बचा हुआ मूल्यांकन करवाया जाएगा. साथ ही राज्य सरकार की यही कोशिश है कि, कोई भी पीड़ित किसान मुआवजे से वंचित ना रहा जाए.

6 लाख हेक्टेयर से ज्यादा फसलें बर्बाद

पिछले कुछ दिनों में तमिलनाडु में मूसलाधार बारिश हुई. जिससे राज्य के कई अहम क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुए. बारिश इतनी तेज थी कि, वो अपने तेज बहाव में फसलें भी लेकर बह गयी. जिसमें कावेरी डेल्टा का क्षेत्र बारिश की चपेट में सबसे ज्यादा आया. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस क्षेत्र में ल्ह्बह्ग 6 लाख हेक्टेयर से जायदा फसलें बर्बाद हुई हैं. ज्सिके बाद राज्य सरकार ने राहत राशि का ऐलान करते हुए मदद का हाथ आगे बढ़ाया है.
इस राज्य में बारिश और ओलावृष्टि से ग्रसित किसानों को मिलेगी 15 हजार रूपए एकड़ के हिसाब से सहायक धनराशि

इस राज्य में बारिश और ओलावृष्टि से ग्रसित किसानों को मिलेगी 15 हजार रूपए एकड़ के हिसाब से सहायक धनराशि

पंजाब राज्य में बेमौसम बारिश होने की वजह से सर्वाधिक हानि गेहूं की फसल को हुई है। अब ऐसी स्थिति में यहां के किसान भाइयों को प्राकृतिक आपदा से संरक्षण देने के लिए शीघ्र ही सरकार की ओर से फसल बीमा योजना जारी की जाएगी। पंजाब में अचानक बारिश और ओलावृष्टि से लाखों हेक्टेयर में लगी गेहूं की फसल चौपट हो गई है। जिसकी वजह से किसानों को प्रचंड आर्थिक हानि पहुंची है। परंतु, इसी कड़ी में राज्य के किसानों हेतु एक राहत भरा समाचार सुनने को मिला है। मुख्यमंत्री भगवंत मान जी ने बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त हुई फसल को लेकर बड़ी घोषणा की है। उन्होंने बताया है, कि जिन किसानों की फसल वर्षा और ओलावृष्टि से नष्ट हुई है, उन्हें मुआवजा दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार, निरंतर आ रही फसल बर्बादी के समाचारों के मध्य सीएम मान ने रविवार को वर्षा से प्रभावित हुए जनपदों का दौरा किया। मुख्यमंत्री भगवंत मान जी ने बठिंडा, पटियाला, मुक्तसर और मोगा जनपद में जाकर प्रभावित किसानों का हाल चाल जाना। विशेष बात यह है, कि इन चारों जनपदों में ही सर्वाधिक गेहूं की फसल को हानि पहुंची है। बहुत सारे जनपदों में तो 70 प्रतिशत से भी अधिक फसलों की तबाही हुई है। बारिश सहित तीव्र हवा चलने की वजह से गेहूं की फसल खेत में गिर पड़ी है। फिलहाल, किसानों को इस गिरी हुई गेंहू की फसल की कटाई करने में बेहद परेशानी होगी।

किसानों की हजारों एकड़ फसल हुई बर्बाद

सीएम मान ने मीडिया के माध्यम से बताया है, कि बेमौसम बारिश से राज्य के किसानों को बेहद हानि हुई है। ऐसे में वे किसानों के दर्द को भली भाँति समझ सकते हैं। उन्होंने कहा है, कि निरीक्षण के उपरांत आई प्रारंभिक रिपोर्ट से पता चलता है, कि हजारों एकड़ में लगी फसल नष्ट हुई है। ये भी पढ़े: सर्दी में पाला, शीतलहर व ओलावृष्टि से ऐसे बचाएं गेहूं की फसल

घर के हानि होने की स्थिति में 95,100 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बताया है, कि जिन किसानों की 75 फीसद फसल नष्ट हो चुकी है। उन किसानों को 15 हजार रुपयए प्रति एकड़ के भाव से सहायता धनराशि दी जाएगी। साथ ही, जिन किसान भाइयों की फसल में हानि 33 से 75 प्रतिशत के मध्य हुई है, उनको 6750 रुपये प्रति एकड़ के भाव से सहायता धनराशि प्रदान की जाएगी। साथ ही, मजदूरों को घर के नुकसान होने पर 95,100 रुपये की सहायक धनराशि प्रदान की जाएगी।

केंद्र सरकार द्वारा जारी फसल बीमा योजना कागजों तक ही सीमित : भगवंत मान

बतादें, कि पंजाब राज्य में बेमौसम बारिश की वजह से सर्वाधिक गेहूं की फसल को हानि हुई है। अब ऐसी स्थिति में यहां के किसान भाइयों को प्राकृतिक आपदा से संरक्षण देने के लिए अतिशीघ्र ही सरकार के माध्यम से फसल बीमा योजना चालू की जाएगी। सीएम मान के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा चल रही फसल बीमा योजना से किसानों को कोई भी फायदा नहीं होने वाला है। वह केवल कागजों तक ही सीमित रह गई है। यही कारण है, कि पंजाब सरकार के लिए किसानों और मजदूरों का विकास पहली प्राथमिकता है।
इस राज्य में 810 करोड़ की धनराशि से लाखों किसानों को मिलेगा फसल बीमा का फायदा

इस राज्य में 810 करोड़ की धनराशि से लाखों किसानों को मिलेगा फसल बीमा का फायदा

आपकी जानकारी के लिए बतादें कि बिहार सरकार की तरफ से निरंतर कृषकों के फायदे में कदम उठा रही है। हाल ही में राज्य के किसानों को 810 करोड़ रुपये फसल बीमा हेतु जारी किए जाएंगे। इससे कृषकों को आर्थिक तौर पर सहायता मिलेगी। केंद्र और राज्य सरकार किसानों को सहूलियत देने का कार्य कर रही हैं। जानकारी के लिए बतादें, कि बारिश, ओलावृष्टि, सूखा और बाढ़ में फसल तबाह होेने पर किसानों को मुआवजा प्रदान किया जाता है। किसान भाइयों को अनुदान पर बीज मुहैय्या करवाए जाते हैं। साथ ही, बहुत सारी मशीनों पर भी भारी छूट प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त भी कृषकों को यंत्रों की खरीद करने पर भी भारी राहत मुहैय्या कराई जाती है। हाल ही में बिहार सरकार की तरफ से किसानों के हित में कदम उठाए गए हैं। किसानों को हुए फसलीय नुकसान के बदले में किसानों को राहत देनी चालू कर दी गई है। राज्य सरकार के सहयोग से बीमा कंपनियां कृषकों को फसल बीमा प्रदान कर रही हैं।

कितने लाख कृषकों को जारी किए जाएंगे 810 करोड़ रुपये

कृषि मंत्री की ओर से सूखा प्रभावित क्षेत्र के कृषकों के लिए बड़ी सहूलियत प्रदान की गई है। झारखंड में 683922 किसानों को फसल बीमा योजना का फायदा प्रदान किया जाएगा। जिसके लिए पूरा खाका राज्य सरकार की तरफ से खींच लिया गया है। लगभग 810 करोड़ रुपये की बीमित धनराशि कृषकों को मुहैय्या कराई जाएगी। साल 2018-19 में किसानों द्वारा खरीफ एवं रबी सीजन की फसलों हेतु बीमा करवाया था। किसानों को बेहद फसलीय हानि हुई थी। अब इन कृषकों के भुगतान की प्रक्रिया शुरू की जानी है। यह भी पढ़ें : जानें भारत विश्व में फसल बीमा क्लेम दर के मामले में कौन-से स्थान पर है

राज्य सरकार द्वारा 362 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है

किसानों को बकाया भुगतान करने के मामले में राज्य सरकार काफी सजग है। वर्तमान में राज्य सरकार के अधिकारियों एवं बीमा कंपनी के अधिकारियों के मध्य किसानों को बीमा भुगतान करने के लिए बैठक हुई थी। राज्य सरकार की तरफ से कंपनियों को 362.5 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है। इसके उपरांत से ही कंपनियों द्वारा कृषकों को भुगतान करने की कवायद जारी कर दी है।

किसानों को समय से ही धनराशि प्रदान की जा रही है

राज्य सरकार द्वारा कृषकों का समयानुसार भुगतान किया जा रहा है। मीडिया खबरों के मुताबिक, राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का कहना है, कि अब तक सरकार की तरफ से बीमा कंपनियों को करोड़ों रुपये का भुगतान हो जाता था। लेकिन किसान भाईयों को धनराशि प्राप्त नहीं हो पाती थी। इसमें बहुत सारी तकनीकी समस्याएं देखने को मिलीं। अब राज्य सरकार की तरफ से राज्यांश की धनराशि प्रदान करनी समाप्त कर दी है। साथ ही, बीमा कंपनियों के समक्ष यह शर्त रखी गई है, कि जब तक बीमा कंपनियां यह लिखित में नहीं देंगी कि किसानों को बीमा भुगतान किया जाएगा, तबतक राज्यांश नहीं दिया जाएगा।
खुशखबरी : इस राज्य में बारिश व ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों के खाते में पहुंचेंगे 60 हजार रुपए

खुशखबरी : इस राज्य में बारिश व ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों के खाते में पहुंचेंगे 60 हजार रुपए

बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से देश के विभिन्न स्थानों पर किसानों की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। राज्य सरकार राहत पैकेज का लाभ केवल 13 प्रभावित जनपदों के किसानों को ही मिलेगा। इन जनपदों के अंतर्गत साबरकांठा, सूरत, कच्छ, अमरेली, जामनगर, भावनगर, अहमदाबाद, जूनागढ़, राजकोट, बनासकांठा, अरवल्ली, तापी और पाटन का नाम शम्मिलित हैं। गुजरात राज्य के किसानों के लिए अच्छी खबर सामने आई है। गुजरात की बीजेपी सरकार द्वारा किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है। गुजरात सरकार का कहना है, कि मार्च और अप्रैल माह के चलते बेमौसम बारिश से राज्य में फसलों की काफी ज्यादा हानि हुई है। इससे किसानों को आर्थिक हानि उठानी पड़ी है। हालाँकि, अब किसानों को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि आजकल राज्य के किसानों को फसलीय क्षति से राहत दिलाने के बदले में मुआवजा धनराशि प्रदान की जाएगी। इसके लिए सरकार की तरफ से रोड मैप तैयार कर लिया है।

इस बार दिए जाने वाली मुआवजे की धनराशि सबसे ज्यादा होगी

द इकोनॉमिक टाइम्स की खबरों के अनुसार, बीते दिनों बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों को आर्थिक सहायता देने के लिए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया था। इसके उपरांत मंत्रिमंडल ने राहत पैकेज की घोषणा की है। फिलहाल, शीघ्र ही किसानों के खाते में मुआवजा की धनराशि पहुंच जाएगी। इसके लिए किसानों को परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है। साथ ही, गुजरात सरकार ने यह दावा किया है, कि इस बार दी जाने वाली राहत धनराशि अब तक की सर्वोच्च सहायता राशि होगी।

इन जनपदों के किसानों को मिलेगी मुआवजे की सहायक धनराशि

गुजरात सरकार द्वारा कुछ जनपदों की सूचि पेश की गई है। जिनको फसलीय क्षति होने की वजह से मुआवजा देने की कवायद की जा रही है। सरकार के अनुसार, राहत पैकेज का लाभ केवल 13 प्रभावित जनपद के किसानों को ही होगा। इन जनपदों में पाटन, साबरकांठा, सूरत, कच्छ, अमरेली, जामनगर, भावनगर, अहमदाबाद, जूनागढ़, राजकोट, बनासकांठा, अरवल्ली और तापी का नाम शम्मिलित है। विशेष बात यह है, कि इन जनपदों में फसल क्षति का आकलन करने के लिए गिरदावरी का कार्य कर लिया गया है। ये भी पढ़े: इस राज्य में किसानों को फसल मुआवजा देने 6 जनपदों के लिए 92 करोड़ आवंटित किए गए हैं

मुआवजे के अतिरिक्त वित्तीय सहायता भी दी जाएगी

ऐसे किसानों की फसल 33 फीसद या उससे ज्यादा खराब हुई है, उनको राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष की तरफ से मुआवजा दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त भी उन किसानों को वित्तीय मदद भी प्रदान की जाएगी। विशेष बात यह है, कि सरसों, गेहूं, पपीता, केला और चना जैसी फसलों के लिए किसानों को एसडीआरएफ 13,500 रुपये की सहायता धनराशि प्रदान करेगा। साथ ही, प्रदेश सरकार भी 9,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से किसानों को अलग से सहायता प्रदान करेगी।

सरकार किसानों को कितने रुपये प्रति हेक्टेयर का मुआवजा देगी

जानकारी के लिए बतादें, कि ज्यादा से ज्यादा 2 हेक्टेयर जमीन के लिए ही किसानों को मुआवजा धनराशि प्रदान की जाएगी। इसका अर्थ यह हुआ है, कि जिन किसानों की 10 हेक्टेयर में लगी फसल को हानि पहुंची है। उनको भी दो हेक्टयेर के लिए ही मुआवजा धनराशि प्रदान की जाएगी। साथ ही, अमरुद, नींबू और आम की खेती करने वाले कृषकों को 30600 रुपये प्रति हेक्टेयर के अनुरूप मुआवजा प्रदान किया जाएगा।
प्रचंड बारिश और भयावय बाढ़ से पीड़ित किसानों ने फसल बर्बादी को लेकर सरकार से क्या मांग की

प्रचंड बारिश और भयावय बाढ़ से पीड़ित किसानों ने फसल बर्बादी को लेकर सरकार से क्या मांग की

किसानों के अनुसार सबसे ज्यादा धान की फसल क्षतिग्रस्त हुई है। किसान का एक एकड़ धान पर अब तक 20-25 हजार रुपये खर्च आ चुका है। मूसलाधार बारिश और बाढ़ के चलते बहुत से खेतों में किसानों को एक भी दाने की उम्मीद नहीं है। किसानों की यह मांग है, कि प्रति एकड़ कम से कम 60 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाए। क्योंकि, एक एकड़ से लगभग 30 क्विंटल धान की बर्बादी हुई है। निरंतर बारिश और बाढ़ ने जनपद में भयंकर तबाही मचाई है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार 24 हजार हेक्टेयर फसल को अत्यंत क्षति पहुँची है। संबंधित रिपोर्ट सरकार के लिए भेज दी गई है, जिन किसानों के खेतों में जलभराव है, उनकी ज्यादा समस्याएं बढ़ गई हैं। फसल पर प्रति एकड़ हजारों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद किसानों के हाथ खाली हैं। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि पीड़ित किसान मुआवजे की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। धान की फसल सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त हुई है। 19 हजार 578 हेक्टेयर में खड़ी धान की फसल पूर्णतय बर्बाद हो चुकी है। इसके अतिरिक्त गन्ना, मक्का व बाकी फसलों को भी हानि हुई है। किसान संगठनों ने 60 हजार एकड़ के हिसाब से मुआवजे की गुहार की है।

किसान धान पर प्रति एकड़ हजारों की लागत लगा बैठा है

किसानों ने कहा है, कि सबसे अधिक नुकसान धान की फसल में देखा गया है। एक एकड़ भूमि पर अब तक 20-25 हजार रुपये का खर्च आ चुका है। इतना ही नहीं कुछ खेत ऐसे भी हैं, जहां किसानों को एक भी दाने की आशा नहीं रही है। किसानों की मांग है, कि प्रति एकड़ कम से कम 60 हजार रुपये मुआवजा प्रदान किया जाए। क्योंकि, एक एकड़ से लगभग 30 क्विंटल धान की क्षति हुई है। किसानों की मांग है, कि सरकार अतिशीघ्र प्रभावित इलाकों की गिरदावरी करवा कर पीड़ित किसानों का मुआवजा उपलब्ध कराया जाए। ये भी पढ़े: बिहार में धान की दो किस्में हुईं विकसित, पैदावार में होगी बढ़ोत्तरी

किसानों ने अपनी दुखभरी दास्ताँ की जाहिर

पूर्णगढ़ के किसान मांगे राम का कहना है, कि उनकी पांच एकड़ धान की फसल पूर्णतय खत्म हो चुकी है। खेतों में जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है। बारिश व बाढ़ के पानी ने फसलों को बर्बाद करके रख दिया है। खेत की तरफ देखकर केवल मायूसी हाथ लग रही है। अगली फसल की बुवाई समय पर हो पाएगी इसकी भी कोई उम्मीद नहीं है।

खेतों में केवल जलभराव ही जलभराव

पूर्णगढ़ के किसान नवनीत ने कहा है, कि जिन खेतों में हरी भरी फसलें लहलहा रही थी, आज उन फसलों की जगह पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। बतादें, कि तकरीबन एक सप्ताह से जलभराव की स्थिति है। निकासी की भी समुचित व्यवस्था नहीं हो पा रही है। दरअसल, लगभग तीन एकड़ फसल क्षतिग्रस्त हो चुकी है। किसानों को मुआवजा देकर सरकार आर्थिक सहयोग करे।

किसान को प्रति एकड़ हजारों खर्च करने पर भी निराशा हाथ लगी

किसान विनोद कुमार ने बताया है, कि फसल की अच्छी पैदावार की आशा पर किसान भविष्य की योजना तय करता है। अगर फसल ही बर्बाद हो गई तो किसान के पास कुछ भी नहीं बचता है। किसान भाई अब तक प्रति एकड़ धान पर हजारों रुपये खर्च कर चुके हैं। इसके बावजूद भी किसान के हाथ खाली हैं। किसानों का बजट पूर्णतय बिगड़ चुका है। सरकार को आर्थिक सहायता के लिए आगे आना चाहिए। ये भी पढ़े: हल्के मानसून ने खरीफ की फसलों का खेल बिगाड़ा, बुवाई में पिछड़ गईं फसलें

फसलों की ऐसी दयनीय स्थिति कभी नहीं देखी

किसान चूहड़ सिंह का कहना है, कि फसलों की ऐसी दयनीय स्थिति आज तक नहीं देखी। हालांकि, बाढ़ विगत समय में भी आती रही हैं। परंतु, इतनी फसलीय बर्बादी कभी भी नहीं हुई, इस बार तो ज्यादा हद हो गई। उनकी 12 एकड़ के आसपास फसल पूर्णतय बर्बादी की कगार पर है। लाखों रुपये की हानि हो चुकी है। बजट पूर्णतय ड़गमगा चुका है। खेतों की तरफ देखकर कलेजा मुह को आता है। कृषि उपमंडल अधिकारी डॉ. राकेश पोरिया का कहना है, कि बाढ़ व बारिश की वजह से जिले के प्रत्येक खंड में हानि हुई है। सबसे अधिक हानि धान की फसल में हुई है। हमने रिपोर्ट तैयार करके सरकार को भेज दी है। किसानों से परस्पर संपर्क साधा जा रहा है। विभाग की टीम खेतों में जाकर लगातार हानि का मुआयना कर रही है। प्रभावित फसलों का मुआवजा निर्धारित करना सरकार के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आता है।